भावनाओं को शब्दों में पिरोने की कोशिश किया करता हूँ .......
''जो भी उठायी किताब गज़ल की
हर पन्ने पर तुम्हारी याद उभरी''
......@आनन्द .....
Friday 17 March 2017
तेरी यादें
सहेजते समेटते
सिमट गया हूॅ यादों का पुरानापन भाने लगा है तुम्हें सहेज लिया है रात होती है जब यादों के शब्द खूब सुनहरे दिखायी देतें है किताबें यादों की निकालकर पढ लेता हूॅ .......@avt
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